Alt Text: आयुर्वेदिक तरीके से पेट की गैस का इलाज करने वाली जड़ी-बूटियाँ

आयुर्वेदिक तरीके से पेट की गैस का इलाज: प्राकृतिक उपाय और जीवनशैली के बदलाव

आज की तेज़ रफ्तार जिंदगी, अनियमित भोजन, तनाव और व्यायाम की कमी के कारण पेट की गैस एक आम समस्या बन गई है। परंतु यदि हम प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेदिक तरीके से पेट की गैस का इलाज अपनाएं, तो यह समस्या स्थायी रूप से समाप्त की जा सकती है। आयुर्वेद में गैस की समस्या को ‘वात दोष’ से जोड़ा गया है, और इसके लिए कई प्रभावशाली और सरल घरेलू उपाय बताए गए हैं।

गैस की समस्या को समझें

गैस तब बनती है जब भोजन ठीक से पच नहीं पाता या आंतों में हवा इकट्ठा हो जाती है। अधिक मसालेदार भोजन, बार-बार चाय या कॉफी पीना, देर रात खाना और तनाव इसका मुख्य कारण हो सकते हैं। हालांकि गैस कोई गंभीर बीमारी नहीं है, लेकिन यह पेट फूलना, बदहजमी, सीने में जलन और बेचैनी जैसी समस्याएं उत्पन्न कर सकती है।

आयुर्वेदिक तरीके से पेट की गैस का इलाज

1. त्रिफला चूर्ण का सेवन
त्रिफला, जो हरड़, बहेड़ा और आंवला से मिलकर बना होता है, पेट की सफाई के लिए अत्यंत लाभकारी है। रात को सोने से पहले एक चम्मच त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लें। यह पाचन क्रिया को दुरुस्त करता है और गैस बनने से रोकता है।

2. अजवाइन और काला नमक का मिश्रण
अजवाइन और काला नमक का मिश्रण पारंपरिक घरेलू नुस्खा है। एक चम्मच अजवाइन में चुटकीभर काला नमक मिलाकर चबाएं और ऊपर से गुनगुना पानी पिएं। इससे तुरंत आराम मिलता है।

3. हिंग का पानी
हींग वात नाशक होती है। एक गिलास गुनगुने पानी में चुटकीभर हींग मिलाकर दिन में दो बार पीने से गैस की समस्या कम होती है।

4. सौंफ और मिश्री का सेवन
खाने के बाद सौंफ और मिश्री का सेवन करने से पेट हल्का रहता है और बदहजमी की संभावना कम हो जाती है।

5. अदरक का काढ़ा
अदरक में पाचन एंजाइम्स को सक्रिय करने की क्षमता होती है। एक कप पानी में अदरक उबालकर उसमें नींबू और शहद मिलाकर पिएं। यह गैस और अपच में अत्यंत कारगर उपाय है।

6. पाचन योगासन
पवनमुक्तासन, वज्रासन और भुजंगासन जैसे योगासन पाचन तंत्र को सक्रिय करते हैं और गैस की समस्या से राहत दिलाते हैं। योग न केवल पाचन को सुधारता है, बल्कि तनाव भी कम करता है।

7. आयुर्वेदिक औषधियाँ

  • अविपत्तिकर चूर्ण: पेट की जलन और एसिडिटी में लाभकारी
  • हिंग्वाष्टक चूर्ण: वात दोष को कम करता है
  • जठराग्नि वर्धक काढ़ा: पाचन अग्नि को तीव्र करता है

खानपान में बदलाव भी ज़रूरी है

  • सुबह खाली पेट गुनगुना पानी पिएं
  • दिनचर्या में ताजा, हल्का और सुपाच्य भोजन लें
  • ज्यादा तला-भुना, गैस बनाने वाले खाद्य पदार्थ जैसे राजमा, छोले और गोभी से बचें
  • देर रात भोजन और बासी भोजन न करें

ध्यान देने योग्य बातें

  • पेट की समस्याएं केवल दवाओं से नहीं, जीवनशैली के सुधार से पूरी तरह ठीक होती हैं
  • गैस की समस्या यदि लंबे समय से बनी हुई है, तो योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह अवश्य लें

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